. . . . आँचल. . . .
आँचल मेँ समेटे लिऐ फिरती हूँ
खारा समुन्दर
साडी की सलवटोँ मेँ बाँधती हूँ जमाने का दर्द
और करती हूँ प्रतिदिन
अनवरत कोशिश जोडे रखने की सारे धागोँ के ताने बाने को
ताकि रख सकूँ
घर को
एक वट वृक्ष की तरह सहेज कर
डॉक्टर सोनी पांडे
आँचल मेँ समेटे लिऐ फिरती हूँ
खारा समुन्दर
साडी की सलवटोँ मेँ बाँधती हूँ जमाने का दर्द
और करती हूँ प्रतिदिन
अनवरत कोशिश जोडे रखने की सारे धागोँ के ताने बाने को
ताकि रख सकूँ
घर को
एक वट वृक्ष की तरह सहेज कर
डॉक्टर सोनी पांडे
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