यह समकालीन स्त्री कविता का सबसे सुन्दर समय है जब एक साथ हिन्दी में विभिन्न प्रन्तीय भाषाओं की कवयित्रियों ने मजबूत दखल बनाई है।मीता दास मूलतः बांग्ला भाषी हैं और बंग्ला के साथ -साथ हिन्दी में भी कविताएँ लिखती हैं।आपकी कविताओं के प्रतिरोधी तेवर आपको कात्यायनी की परम्परा से हिन्दी में जोड़ते हैं।समाज के दबे कुचले शोषित वर्ग के प्रति मानवीय करुणा आपकी कविताओं में व्यापक फलक पर उभरता है।मीता दास हिन्दी और बांग्ला के बीच की वह मजबूत सेतु हैं जो दो भाषा संसार की सांस्कृतिक चेतना से हमें रू-ब-रू कराती हैं।मीता दास की कविताएँ{ 1 } ०००" चूहा भात - भात चूहा "०००चूहा भात - भात चूहाभात चूहा हो या चूहा भात ...........ओ मुसहरमुसुहा खा - खा कर बने हो मुसहरऔर यहाँ सारे सरकारी हथकंडे जारी हैं तुम्हे भुलाने औरतुम्हारी उपस्थित कोदर्ज करने में कर रहे कोताहीठेल रहे हैं बिलों में तुम्हारी सारी जनसँख्या कोतुम सब जिन्दा हो चूहों के लिए या चूहे जिन्दा हैंतुम्हे जिन्दा रखने के लिएकौन किसके लिए जिन्दा है ?चूहा सरकारचूहा मुसहरया चूहा भात या भात चूहासरकार के खोदे हुए बिल मेंछुपे हुये है तुम्हारे जीने मरने के आंकड़ेसरकारी दाल खा गये दुकानदारसब्जी खा गये चतुर जानवर ……
चांवल !दब गए खेतों में
पाले की मार से और बच गयेचूहेतुम्हार हिस्सेगोदाम मेंकिसिम - किसिम के चूहेइस खेत , उस जंगल इस प्रदेश उस प्रदेश सभी ओर के चूहेअब करते हैं
आवाजाहीवे भी भूखे , कीटनाशक से त्रस्तरोगों को वहन करती दौड़ पड़ती है अपनी जान बचानेतुम भी भूखे नंगे , बेरहम पेट की ज्वाला से त्रस्तपकड़ कर ही मानते , भात - चूहा को तरसतेखुदसा माझी ,बरहमु या चतुरा, एक्कापरिवार बड़ा , कुनबा बड़ाचूहे तो उतने ही होंगेजितनी उनकी प्रजनन क्षमता होगी यामुसहरों , कीटनाशकों और नामालूम बीमारी से न मर गए होंपर तुम्हारा क्या ...........मुसहरतुम्हारे तो प्रजनन क्षमता के सारे मुफ्त सरकारी उपाय भीहै कालाबाजारी के हत्थेहर कस्बे के मेडिकल शॉप मेंधड़ल्ले से बिक रहे मुंह मांगी कीमतों परकोई फैमिली प्लानिंग कैम्प भी नहीं चलतेन ही बंटता हैं तरीके ही मुफ्त और न ही बंटते है सरकारी राशनतुम्हारे भूखे - नंगे बच्चे और तुमअनजानी अनचाही बीमारियों से मरकर ही इतने बचे हैं किचूहा मिल ही जाता है एक आधऔर तुम दो वक़्त की ही नहींएक वक़्त की कम से कम जुगाड़ ही लेते होभात - चूहाकेरोसिन पर नहींझाड़ - झंकाड़ जलाकरभून ही लेते हो चूहाऔर भात संग सान गटक जाते होअगला चूहा मिलने तक |000000{ 2 }०००" फिलिस्तीनी कविता पढ़ते हुए "०००{ नवजान दरवीश कहते है -------- फ़ादो , औरों की तरह नींद मुझे भी आ ही जाएगी इस गोली बारी के दरमियान ............}हाँ, हाँ ,हाँरक्त की गंध में भी मुझे नींद आ ही जाएगीचीखते बिलखते बच्चों के खुनी फौवारों से नहा कर भी ,मुझे नींद आ ही जाएगीबस दुःख होगा इस बात परकि मेरा देश इस बात पर चुप्पी साधे बैठा हैहवाई दौरों के सफ़र में मशरूफ़दूरबीन से हवाई पट्टी को ताकता हुआ विमान की खुली खिड़की सेउन्हीं बच्चों की लाशों के ऊपर से हवाई उड़ान भरकरहर वो सरहद पार कर लेगाअपनी हदें पहचानने और भुनाने के लिएअधमरे , खून से लथपथ बच्चों की लाशों पर से गुजर जायेगाफिर न उफ़ न आह बस एक गंभीर हँसी लपेटेबढ़ जायेगा अपने दौरे के अगले पड़ाव की ओर...................ये चुप्पी तुम्हे महँगी न पड़ेबच्चे माफ़ नहीं करेंगे कभी तुम्हेनींद तुम्हें भी आ ही जाएगीराजसी ठाठ - बाट में पररक्त के सूखते धब्बों की गंधनहीं दब पायेगी किसी रूम फ्रेशनर से या न हीटेलीविजन पर विज्ञापित किसी डियोड्रेंड से ही |०००००००००{ 3 }००० कहाँ है वे संस्थायें " क्राई या सेव द चिल्ड्रन "०००बच्चे सिर्फ रो ही नहीं रहेतड़फ - तड़फ कर मर भी रहे हैंउनकी लाशों पर यह कैसी विजय पताकालहराने को उत्सुक होहे हथियार बंद सैनिको क्या तुम्हारे बच्चों की शक्लेंइन बच्चों की शक्लों से जुदा हैंकोई कहता है फिलिस्तीनी बर्बरता पर लिखो कवितापर हाथ नहीं उठते , लाल रंग बोलता है , लिखता कुछ नहींआँखे नहीं दोहराना चाहती उन मासूमों के चेहरेजो बर्बरता से कुचल दिए या भून दिए गए हैंनही चलाना चाहते कलम ,उठाना चाहते हैं बन्दूक बच्चे भी उनके खिलाफकई बच्चे तो मीडिया वालों के कैमरे को ही बन्दूक की नली समझअपने दोनों हाथ समर्पण की मुद्रा में उठा रखते हैपर हमें पता है मानवता का पाठ सिर्फ रटने या रटाने के लिए नहीं बनीजेरुसलम को अबयाद रक्खेंगे ईशा के सलीब के लिए नहींमासूम बच्चों के बिलखते रुदन सेऔर पेशावर को ?००००००००००००{ 4 }००० " सिगरेट की क्या बिसात " ०००उसने सिगरेट का कश लियाऔर फूंक डाले सारे अवसादसिगरेट के धुएं को लीला कुछ इस तरह किसारी चुभन लील गई एक ही साँस मेंसिगरेट फूंकना सिर्फ एक मर्ज नहींएक दवा भी हैउसने जान लिया थाधुंएँ के छल्ले उछालते उन मर्दों सेजो टेढ़ी हँसी हँस कर फिकरा सा कश ही देते थेक्या स्त्री फूंक सकती हैं सिगरेटवे हमेशा ही मुगालते में रहते हैंउन्हें नही पतासिगरेट क्या वे सारा जहाँ फूंक सकती हैंसिगरेट की क्या बिसात |उस स्त्री ने छल्ला बनाया धुंएँ कागोल मटमैला साऊपर उठता हुआदेखा तिरछी नजर सेछल्ला आहिस्ते - आहिस्ते विलीन हो गयारह गई सिर्फ गंधदुर्गन्ध भी कह सकते हैंफिकरे की चुभनउड़ा चुकी वह छल्ला बनाबची रह गई सिर्फ और सिर्फ दुर्गन्ध ............|००००००००{ 5}००० " बच्चों के नाम " ०००बच्चों ने दी शहादतगाजा आज खाली शिशु , बच्चों और किशोरों सेइज़राइली टैंक घूम रहे हैं सरपट , बच्चा खोर की तरहउधर भूमध्य सागर का सीना चीरताफुंफकारता है युद्धपोतपैलेस्टाइन के सीने पर खिंची वह तीस फुट ऊँची दीवार इज़राइलकीउस पार की जमीन पर अब कब्ज़ा है इजराइलों काबच्चों के खेलने के मैदानो में फ़ैल गए हैं इज़राइली मिलट्री कैम्पबच्चे तुम और तुमसे बड़े सभी बंदी हैं इज़राइली कैदखानों मेंहोता है रोज कत्लेआम वहां |००००००{ 6}००० " शहीद शिशु - बच्चे " ०००तुम्हारी कलपती आत्माएंक्या चैन से सोने देती होंगीउन कातिलों को ?शत्रुओं के हैलीकॉपटर लैंड होते हैंतुम्हारे पूर्वजों की छतों पर , खेत - खलिहानों परवे रौंदते हैं भारी - भरकम बूटों , बमों , बंदूकों सेघायल , मृत लाशों से भरे मिलट्री के ट्रक , एम्बुलेंस के चक्कों सेचाक होते हैं तुम्हारे ही रक्त बिंदु , अब झरते नहीं सूख गए हैं |सूखे हलक से उच्चारित भी नहीं होतेछलनी हुए उन शहीद शिशुओं के नामगाँव या स्कूलों के पतेअब वे पेशावर के नाम से पहचाने जाते हैंक्यूँ की शहीदों की शिनाख्त सिर्फकब्रिस्तान में या फिर फिजाओं में हैं दर्ज |००००००००००००परिचयनाम ---मीता दासजन्म ------12 जुलाई सन 1961, जबलपुर { मध्य प्रदेश }शिक्षा ------ बी . एस . सी विधा ------- हिंदी भाषा & बांग्ला भाषा में कविता , कहानी , लेख , अनुवाद और संपादनप्रकाशित ग्रन्थ ----- 1...." अंतर मम" काव्य ग्रन्थ , बांग्ला भाषा में 2003 में2 ....नवारुण भट्टाचार्य की कविताएं ( अनुवाद - मीता दास ) प्रकाशित3 .... भारतीय भाषार ओंगोने ( अनुवाद हिंदी कवियों का बांग्ला भाषा मे अनुवाद - मीता दास ) प्रकाशित5... काठेर स्वप्न ( हिंदी की प्रतिष्टित कहानियों के बांग्ला अनुवाद ) संकलन प्रकाशित6... जोगेन चौधुरी की बांग्ला कविताओं का हिंदी अनुवाद प्रकाशित7... जोगेन चौधुरी के 2 संस्मरण का हिंदी अनुवाद प्रकाशित8... " पाथुरे मेये" स्वयं की बांग्ला कविताओं का संकलन प्रकाशित9.....'' अनुवाद एर जलसा'' {अनुदित कविताओं का संकलन बांग्ला भाषा में } प्रकाशधीन10 .... हिंदी कवि अग्निशेखर की कविताओं के बांग्ला अनुवाद - मीता दास ) प्रकाशित11.... नवारुण भट्टाचार्य की कविताओं के अनुवाद प्रकाशधीन(अनुवाद - मीता दास )12 ... सुकान्त भट्टाचार्य की कविताओं का अनुवाद ( मीता दास ) प्रकाशधीन ।13... स्वयं कीकहानियों का संकलन ( हिंदी ) संभावना प्रकाशन से शीघ्र प्रकाशित14 ... हिंदी में स्वयं की कविताओं का संकलन शीघ्र प्रकाशितसंपादन -------- 1... " हम बीस सदी के " काव्य संकलन में संकलित कवितायेँ और संग्रह के संपादक मंडल में2..." धरातल के स्वर "के संपादक मंडल में3..." छत्तीस गढ़ आस पास "के संपादन मंडल में4.... कृत्या पोएट्री वेब पत्रिका का संपादनप्रसारण ---1.... आकाशवाणी रायपुर से 25 वर्षों से लगातार स्वरचित कविताओं का प्रसारण2.... दूरदर्शन रायपुर से कवितआओं का प्रसारण3.... भोपाल दूरदर्शन से गीतों का प्रसारण { गायिका ....तपोशी नागराज , संगीत --- मुरलीधर नागराज }प्रकाशन --1... बांग्ला कहानी एवं कविताओं का लगातार15 वर्षों से लेखन ,एवं रेखांकन भी प्रकाशित2... हिंदी कहानी एवं कविताओं का लगारत लेखन ,एवं रेखांकन का प्रकाशन3... हिंदी से बांग्ला . बांग्ला से हिंदी में कविता , कहानियों का अनुवाद एवं प्रकाशनपत्र पत्रिकाएं ---- --- पहल , वागर्थ , नया ज्ञानोदय , मन्तव्य , पाखी , पक्षधर, नवनीत , समावर्तन , लहक , दोआबा, समकालीन जनमत , पब्लिक एजेंडा , जनसत्ता , युद्ध रत आम आदमी , प्रसंग , रेवान्त , संबोधन ,शेष , दुनिया इन दिनों , अभिनव मीमांशा ,सूत्र , अरावली ऊदघोष , परस्पर , सनद, समग्र दृष्टि ,सद्भावना दर्पण, राष्ट्र सेतु , छत्तीस गढ़ आस पास , छत्तीस गढ़ टुडे , नारी का संबल , विकल्प , साहित्य नामा , अक्षर की छांव , संतुलन ,बहुमत {ग्रामोदय } आदि ।समाचार पत्र --------दैनिक भाष्कर , नई दुनिया , नव भारत , देशबंधु , प्रभात खबर , जनसत्ता ,दैनिक प्रखर समाचार , देश बंधू , दैनिक युग पक्ष , अमृत धाराविविध ...............1... प्रौढ़ शिक्षा संस्थान द्वारा ....." नव साक्षर लेखन " पिछले 10 वर्षों से लगातार लेखन और कार्य शाला में शिरकत2...छत्तीस गढ़ पाठ्य पुस्तक निगम की तरफ से नव साक्षर लोगों के पुस्तकों के चयन मंडल में शामिलपुरस्कार ------------- कहानी ------" पहलू यह भी " भिलाई भाषा भारती पुरस्कार सन 1999 मेंसम्मान --------------1.... उत्तर बंग नाट्य जगत शिलिगुड़ी से ...." कवि रोबिन सूर सम्मान" { हिंदी कवि सम्मान }सन 2002 में2...." हिंदी विद्या रत्न भारती सम्मान " कादंबरी सहिय परिषद सन 2003 में3...." डा 0 खूब चंद बघेल सम्मान "2005 में4.... प्रसस्ती पत्र " हिंदी साहित्य हेतु , छत्तीस गढ़ अल्प संख्यक आयोग द्वारा सन 2005 में5.... " राष्ट्र भाषा अलंकरण " छत्तीस गढ़ प्रचार समिति द्वारा सन 2008 मे6.... प्रेमचंद अगासदिया सम्मान 2019 7.... बांग्ला साहित्य अकादमी { छत्तीस गढ़ शाखा द्वारा } प्रशस्ति पत्र 2010 मेंसंप्रति ----1.... जन संस्कृति मंच दुर्ग - भिलाई ( छत्तीसगढ़ की अध्यक्ष )2....बंगीय साहित्य संस्था भिलाई शाखा की संरक्षक।संपर्क --- 63/4 नेहरू नगर पश्चिम , भिलाई , छत्तीसगढ़ , 490020फोन न0...9329509050ईमेल ....mita.dasroy@gmail.com9329509050 यह मेरा व्हाट्सएप नम्बर है ।नोट- पोस्ट में प्रयुक्त सभी रेखाचित्र चित्रकार अनुप्रिया के बनाए हुए हैं।
मंगलवार, 1 मार्च 2022
समकाल : कविता का स्त्रीकाल -27
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शुक्रिया सोनी और अनुप्रिया
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