बुधवार, 2 नवंबर 2016

अमन त्रिपाठी की कविताऐं

१. लड़की मुसलमान है ___

किसी को नहीं पता था
कि वो मुसलमान है
शक्लोसूरत हिंदू जैसी
चलना ढलना हिंदू जैसा
बोलना बतियाना वैसे ही
जैसे वहाँ हिंदू बोलते थे

वो सब तो ठीक था!

हाथ भी जोड़ती थी
पूजा तक में आती थी
लड़की थी
अचानक किसी रोज़
लोगों को पता चला-
वो मुसलमान है
अजी वो,
हाँ वही वही
हाँ वही लड़की
वो मुसलमान है
लड़की - मुसलमान है !

***
हिंदू दिखना ज़्यादा ज़रूरी था
इंसान होने की बजाय हाथ जोड़ना
ज़्यादा ज़रूरी था
सर झुकाने इज़्ज़त देने की बजाय
हमारी सभ्यता में दिखना ज़्यादा ज़रूरी था
होने की बजाय

***
जब तक लोगों की नज़र में वो हिंदू थी
वो आम लड़की थी
जब उसके मुसलमान होने का पता चला
वो खास लड़की थी
जैसे वहाँ कोई और लड़की थी ही नहीं
लड़की ! वो भी मुसलमान !

______________

२. आत्महत्या और चांद ___ ...

और चांद लौटता रहा
देर-देर तक उसके दरवाज़े पर
थपकियाँ देकर चांद चिंतित था
उसने धरती से हवाओं, फूलों,
चिड़ियों और पौधों की एक सभा बुलायी
और उसने जानना चाहा कि क्या धरती पर जीवन की मात्रा कम हो रही है
चांद फुटपाथों पर भटका
और उसने फुटपाथ पर सोने वाले हर आदमी के चेहरे के अंदर झांककर देखा
चांद नदियों से होकर गुजरा और उसने नदियों के बहने की आवाज सुननी चाही
चांद सोते हुए बच्चों के खिलौनों के पास गया चांद झगड़ते हुए भाई बहनों के पास गया
चांद, अपने प्रेमी की याद में रोती प्रेमिका के पास भी गया
वह हर जगह गया
लेकिन वह नहीं जा पाया उस दरवाजे के पार ! कई-कई दिनों तक चांद लौटता रहा देर-देर तक उसके दरवाजे पर थपकियाँ देकर-

***

दरवाजे के तिलिस्म से बाहर ले चलूँ
उससे पहले एक बात - मैं कल्पना करता हूँ कि   एक लड़की,
जो अरसे से आत्महत्या के बारे में सोच रही है बल्कि इस समय भी वो किसी से वैसी ही बातें कर रही है,
से वो पूछे - क्या तुम्हारी बालकनी से चांद दिखता है ?
मैं कल्पना करता हूँ कि लड़की जो आत्महत्या करना चाहती है
वह इस बेमौके पूछे गए सवाल पर झुंझलाए और धीमे से कहे - क्या वाहियात सवाल है.

***
चांद जो कि दरवाजे पर थपकियाँ दिये जा रहा है
और अंदर वह लड़की झुँझलाकर कहती है-
क्या वाहियात सवाल है...
चांद आज भी चला जाता है
मैं भी चाहता हूँ वह चला जाय झुँझलाने के बाद शायद वह लड़की बढ़े जीवन की तरफ और दरवाज़ा खोलकर बालकनी में आने पर उसे चांद अपनी जगह पर ही दिखना चाहिये - ______________

३. दीवाली में ___

पता चला है
दीये लाने की कवायद में-
श्रीराम कोंहार ने
अब दीये बनाना बंद कर दिया है
सुरेन्दर चपरासी के घर भी दीवाली आएगी
और सबेरे से चार बार रिरिया चुका है पैसे को पैसे मिलें तो उसके घर कुछ सामान आ जाए पांचवीं बार रिरियाने के लिये
फिर काम में लगा है
अखबार में खबर है -
इतने जवानों की मौत और त्योहारी माहौल खराब होने का एक भद्दा सा अभिनय
बाहर के सामान उपयोग में नहीं लाएँगे
दीये जलाएँगे और गरीबी दूर करेंगें
इस तरह सुन रहे हैं ताकते हुए कोंहार, चपरासी...
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अमन त्रिपाठी
शिक्षा - बी.टेक तृतीय वर्ष
लखनऊ
मो. नं. - 9918260176

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