शुक्रवार, 26 सितंबर 2014

 मेडको लेकर ..मैडना बने!...(लेख)

लेखिका-डॉ.अरुणा कपूर.                                                                              

...अच्छा लगता है जब अपने काम में कोई हाथ बंटाता है!...इससे काम करने से होने वाली थकावट में भी कमी आ जाती है!...अपने साथ कोई और भी उसी काम को कर रहा है...यह सोच भी मन को तसल्ली देती है!..लेकिन यह कोईहोता कौन है?...यह कोई भी हो सकता है!...आप जिसे कामवाली याने कि जिसेमेडकहते है, वह भी हो सकती है!

...आज के आधुनिक समय में परिवार सीमित होते जा रहे है!...वह समय इतिहास जमा हो गया है जब घर एक भरापूरा परिवार हुआ करता था...दादा, दादी, बेटे,बेटियां,बहुएं, पोते,पोतियां...और आने-जाने वाले मेहमानों से मानो घर एक छोटेसे मेले का स्वरूप धारण कर लेता था!....छोटे बच्चों को ले कर कोई समस्या ही खड़ी नहीं होती थी!..कभी किसी की गोद में बैठ कर खाना खाता था...तो किसी की गोद में चढ कर खेलता रहता था..नींद आने पर कोई भी उस छोटे से बच्चे को नरम बिस्तर पर या पलने में सुला देता था...और ध्यान रखा जाता था कि बच्चे की नींद में खलल न पड़ें!...

...परिवार की महिलाएं मिलजुल कर काम करती थी.. 

खाना बनाना हो ...या कपडे धोने हो..या झाडू-पौछें करने हो..मिलजुल कर काम करने की एक परिपाटी थी...जो समझ लीजिए कि परिवार को जोड़ कर रखने की एक मजबूत कड़ी थी!!...ऐसे में किसी बच्चे की माँ को यह सोचना ही नहीं पड़ता था कि ..मैं रसोई में काम करूंगी, तो मेरे बच्चे को कौन संभालेगा!

...कामकाजी महिलाएं आज से चार दशक पहले के समय में भी हुआ करती थी!..डॉक्टर, इंजीनियर, टीचर और अन्य कामों से जुडी हुई महिलाएं तब भी घर से बाहर अपना काम करने जाया करती थी..उनके छोटे बच्चों की देखभाल घर पर रहने वाले परिवार के सदस्य सहर्ष किया करते थे...मुख्यत: दादा, दादी ही इसे अपनी जिम्मेदारी समझते थे!...छोटे बच्चों को नहलाना, खिलाना, सुलाना, घुमाना..बगैरा काम यही करते थे!...और घर के अन्य काम घर में मौजूद अन्य महिलाएं सहर्ष किया करती थी!

...अब टूट रहे है परिवार..

...अब समाज में बदलाव आ गया है!...परिवार टूटते जा रहे है!...पहले वाली चहल-पहल अब ढूंढने से भी नहीं मिलती!..बस शादी-व्याह या अन्य शुभ प्रसंगों पर ही रिश्तेदार एकत्रित होते है!...वह भी जितना हो सके..कम से कम समय के लिए!...और फिर वही सूनापन अपनी जगह पर वापस आ जाता है!

...परिवार में रह जाते है...पति, पत्नी और एक या दो बच्चें!...यह आज के आधुनिक शहर या महानगरों में रहने वाले परिवार का शब्द-चित्र है!...चलिए मान लेते है कि छोटा परिवार, सुखी परिवार!.. बच्चों की लंबी लाइन का होना इतिहास जमा हो गया है...यह भी समाज और देश के लिए शुभ संकेत है!..लेकिन उन दादा-दादियों को क्यों नजर अंदाज किया जा रहा है?..उन्हें क्यों एक बोझ या भार समझा जा रहा है?...अगर आप को अपने बच्चे प्यारे है, तो क्या उन्हें अपने बच्चे प्यारे नहीं है?...पोते-पोतियों को तो वे असल से ज्यादा सूद प्यारा होता है’...समझ कर प्यार करते है!

..तो दादादादी कितने परिवारों में साथ रह रहे है?....बहुत कम परिवार ऐसे है!..ज्यादा तर बड़े-बूढ़े अलग ही रहने लगे है!...वजह कुछ भी हो सकती है!....कई परिवारों में उनके बच्चें उन्हें अपने साथ रखना नहीं चाहते!...बच्चे अपनी स्वतंत्रता को ले कर सतर्क हो गए है और अपने ढंग से अपना जीवन एन्जोए करना चाहते है!... और कई परिवारों में बुजुर्ग पति-पत्नी ईगो को ले कर परेशान है और इस वजह से वे खुद अपने बच्चों से अलग रहना चाहते है!..उन्हें भी अपना जीवन अपने ढंग से जीने की महत्वकांक्षा होती है....यह अब निजी मामला बन चुका है!..इस पर सही क्या और गलत क्या इसकी चर्चा करना निरर्थक है!

....मेडया नौकरानी को काम पर रखने की वजह!

अब छोटे बच्चे तो घर में होते ही है!....उनकी सार-संभाल भी उतनी ही जरूरी होती है!..अगर आप कामकाजी माँ है तो आपका चिंतित होना स्वाभाविक है कि अपना कामकाज भी चलता रहे और बच्चों की...या अदद एक बच्चे की देखभाल भी व्यवस्थित ढंग से हो!
..आए दिन की बढ़ती हुई कमर तोड़ महंगाई के समय में हम या कोई और, आपको यह सलाह हरगिज नहीं देंगे कि आप अपना कमाई का जरिया दर-करार करके घर बैठ जाएँ या महिलाएं अपनी शिक्षा और अन्य खूबियों को उजागर करने से वंचित रह जाएँ!...और बच्चे के भविष्य को देखते हुए भी आय के स्रोत का बड़ा होना आवश्यक है!...सिर्फ अकेले पति की कमाई पर घर सुचारु ढंग से चलता रहे...ऐसे परिवारों की संख्या कम ही है!

...तो जब महिलाएं घर से बाहर अपने कार्यस्थल के लिए जाती है तो पीछे घर और बच्चों की देखभाल के लिए मेडया नौकरानी रखने का चलन शुरू हो चुका है....यह नौकरानी आपके बच्चों की देखभाल करने के लिए रखी जाती है!..बच्चों को समय पर खाना खिलाना, उनको नहलाना, घुमाने ले जाना और इससे भी अधिक काम इन नौकरानियों के जिम्मे होता है!...बदले में इन्हें तनख्वाह और अन्य कई तरह की सुविधाएं दी जाती है!...कुछ नौकरानियां सुबह से शाम तक घर पर रहती है...रात के समय अपने घर चली जाती है और कुछ नौकरानियों को घर में ही रहने की जगह दी जाती है!
...तो मेड या नौकरानी घर-काम के लिए रखना, इस वजह से भी जरूरी हो गया है!

....मेडरखने से पहले इतने काम अवश्य करें....
१.मेडआपके पास किस जरिये से आई है..इस बात का अता-पता होना आपके लिए जरूरी है!
२. मेडको आपके पास भेजने वाली संस्था या व्यक्ति के बारे में पूरा ब्यौरा आपके पास होना चाहिए..मसलन पूरा पोस्टल अड्रेस, फोन नंबर और अन्य महत्वपूर्ण जानकारियां आप के पास होनी चाहिए...
३. जिसे आप काम पर रखा रहे है उस मेडका पहचान पत्र, दो-तीन फोटो कोपियाँ, उसके सगे-सबंधियों के नाम-पते और पोस्टल अड्रेस भी आप के पास होने चाहिए...
४. मेडकी पुलिस वेरिफिकेशन भी जरूर करवाएं...जिससे कि अगर कोई अपराधिक वारदात हो जाती है तो पुलिस आपकी तुरंत सहायता कर सकें!


...मेडको बाहरी व्यक्ति समझ कर ही उसके साथ व्यवहार करें!..आप अपने काम में कितनी भी व्यस्त क्यों ना हो...अपने कीमती सामान पर रोजाना नजर रखें......गहने और पैसो का प्रदर्शन करने की मूर्खता कभी मेडके सामने ना करें!...मेड आपके बच्चे को ले कर कहाँ जाती है...कब जाती है...कब आती है..क्या खिलाती है...इन छोटी छोटी बातों पर आप ध्यान रखेगी तो बड़ी मुसीबतों का सामना करने से बच सकती है!..मेडके बारे में यह सब जानना जरूरी इसलिए भी है..क्यों कि छोटे बच्चों के अपहरण के बहुतसे मामले सामने आ रहे है..चोरी की वारदातों के मामले भी मेडसे जुड़े हुए ही सामने आ रहे है!...ऐसे में अगर मेडका रखना बहुत जरूरी हो तभी उसे काम पर रखे...अन्यथा पति-पत्नी मिल कर ही घर का कामकाज और बच्चों की देखभाल करें! ...अच्छा ही हो कि आप के बच्चों के दादा-दादी आप के साथ, आप के घर में ही रहे...इनके रहते हुए मेडबुरे काम को आसानी से अंजाम नहीं दे सकती!


                                             (चित्र गूगल से साभार )

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें